विषधर कालसर्प दोष: जाने कारण, प्रभाव और उपाय
विषधर कालसर्प दोष कुंडली में राहु और केतु की विशिष्ट स्थिति से उत्पन्न होने वाला एक गंभीर योग है। इस योग में राहु ग्यारहवें भाव में और केतु पंचम भाव में स्थित होते हैं, जबकि अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच आ जाते हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति को संतान संबंधी समस्याएं, वित्तीय संकट, स्वास्थ्य समस्याएं, और मानसिक अशांति जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इस दोष के प्रभाव को शांत करने के लिए त्र्यंबकेश्वर में विषधर कालसर्प पूजा की जाती है, जो प्राचीन शास्त्रों के अनुसार अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। त्र्यंबकेश्वर को कालसर्प दोष शांति के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है, क्योंकि यह एक सिद्ध क्षेत्र है जहाँ भगवान शिव स्वयं काल को नियंत्रित करते हैं।
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विषधर कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभाव कौन-कौन से है?
विषधर कालसर्प दोष जातक के जीवन में विशेष रूप से मानसिक, शैक्षणिक और संतान संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न करता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को बार-बार पढ़ाई में बाधा, एकाग्रता की कमी, निर्णय लेने में भ्रम और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त प्रेम संबंधों में विश्वास की कमी, धोखा या विघटन जैसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।
यदि विवाह हो चुका हो, तो दांपत्य जीवन में असंतुलन और संतान प्राप्ति में विलंब या कष्ट संभव होता है। कई बार यह दोष व्यक्ति को सामाजिक रूप से भी अलग-थलग कर देता है और उसे अपनों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता। विषधर कालसर्प दोष के प्रभाव से व्यक्ति के प्रयासों का पूर्ण फल नहीं मिल पाता, और वह बार-बार विफलताओं से घिरा रहता है।
समय रहते इस दोष की शांति न कराई जाए, तो यह दीर्घकालिक मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता का कारण बन सकता है। नासिक के प्रसिद्ध मंदिर त्र्यंबकेश्वर में यह पूजा विधिवत रूप से सम्पन्न करायी जाती है।
विषधर कालसर्प दोष के उपाय
विषधर कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने और जीवन में संतुलन स्थापित करने के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं। ये उपाय श्रद्धा, नियम और सही विधि से किए जाएं तो दोष के दुष्प्रभाव काफी हद तक शांत हो सकते हैं:
- राहु-केतु की विशेष पूजा:
विषधर दोष में राहु पंचम और केतु एकादश भाव में होते हैं, अतः इन दोनों ग्रहों की शांति हेतु जाप करना लाभकारी होता है –- राहु मंत्र: “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”
- केतु मंत्र: “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”
प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप:
यह शिव का अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है, जो काल दोषों से मुक्ति देने वाला माना गया है।
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्…”
प्रतिदिन 108 बार जाप करें या शिव मंदिर में इसका अनुष्ठान कराएं। - नाग पंचमी के दिन व्रत और पूजा करें:
इस दिन नाग देवता की पूजा करके दूध, दूर्वा और अक्षत अर्पित करें। नाग प्रतिमा पर चंदन और फूल चढ़ाएं, इससे दोष का प्रभाव कम होता है। - शिवलिंग पर अभिषेक:
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र से अभिषेक करना विशेष लाभकारी होता है। - सात शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा:
पीपल वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें, सरसों का तेल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। राहु और केतु का कष्ट कम होता है। - काले तिल का दान और पितृ तर्पण:
शनिवार को काले तिल, कंबल, लोहे की वस्तु और तेल का दान करें। साथ ही पितरों की शांति के लिए तर्पण करें।
त्र्यंबकेश्वर में विषधर कालसर्प दोष पूजा कैसे करे?
त्र्यंबकेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, कालसर्प दोष निवारण के लिए आदर्श स्थान है। यहाँ की गोदावरी नदी और कुशावर्त कुंड की पवित्रता पूजा की प्रभावशीलता को बढ़ाती है। यहां भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप की पूजा होती है, जो कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष शक्तिशाली माना जाता है। इस मंदिर में तीन शिवलिंग (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) स्थापित हैं, जो इस स्थान की दिव्य ऊर्जा को बढ़ाते हैं
विषधर कालसर्प दोष आर्थिक, शैक्षिक, और पारिवारिक जीवन में बाधाएँ लाता है, लेकिन त्र्यंबकेश्वर में विधिवत कालसर्प दोष पूजा और वैदिक उपायों से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की दिव्य शक्ति, गोदावरी का स्नान, और अनुभवी पंडितों का मार्गदर्शन जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
विषधर कालसर्प दोष पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (2025)
विषधर कालसर्प दोष पूजा वर्ष भर की जा सकती है, लेकिन निम्नलिखित तिथियाँ विशेष रूप से शुभ हैं:
- नाग पंचमी: जुलाई–अगस्त 2025 (श्रावण मास)।
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025।
- अमावस्या और पंचक: प्रत्येक माह की अमावस्या, विशेष रूप से श्रावण और फाल्गुन मास।
- बुधवार, शनिवार, रविवार: राहु-केतु के लिए शुभ दिन।
- विशेष मुहूर्त: कुंडली के आधार पर पंडित से मुहूर्त लें।
त्र्यंबकेश्वर मे विषधर कालसर्प दोष पूजा खर्च कितना है?
विषधर कालसर्प पूजा की लागत पूजा के प्रकार, पंडितों की संख्या, और सामग्री पर निर्भर करती है:
- सामान्य पूजा: ₹2,100 (1 व्यक्ति, सामग्री सहित, 1 पंडित)।
- विशेष पूजा: ₹3,100–₹7,100 (2–3 पंडित, अतिरिक्त जाप और हवन)।
- सामूहिक पूजा: ₹3,500/प्रतिभागी (समूह में, कम लागत)।
- ऑनलाइन पूजा: ₹3,100–₹7,100 (वीडियो कॉल, प्रसाद डिलीवरी सहित)।
विषधर कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करे?
यदि आप त्र्यंबकेश्वर में यह पूजा करवाना चाहते हैं, तो यहाँ के विश्वसनीय पंडित कैलाश शास्त्री जी से पहले से संपर्क करके मुहूर्त तय करें और बुकिंग की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करे। पंडित जी को दोष निवारण मे कई वर्षो से योग्यता प्राप्त है। निचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और पूजा बुक करें