कुंडली मे कालसर्प दोष कैसे देखे? जाने क्या है संकेत और उपाय
कालसर्प दोष की पहचान करना हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है जो अपने जीवन में बार-बार असफलता या रुकावट का अनुभव कर रहा हो। अगर यह दोष समय रहते पहचान लिया जाए और उचित पूजा कराई जाए, तो इसके प्रभाव को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।
कालसर्प दोष की पहचान सही समय पर कर ली जाए, तो इसका समाधान आसान हो जाता है। कुंडली की जाँच, अनुभवी पंडित से परामर्श, और नियमित शिव पूजा करने से इसका असर काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस दोष को शांत करने के लिए त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा पूरी विधि के साथ करने से दोष के नकारात्मक प्रभाव शांत हो जाते है और जीवन में सकारतमकता आती है।
Contents
- 1 कालसर्प दोष की पहचान कैसे करें? (How to Identify Kaal Sarp Dosh)
- 2 कुंडली देखकर कालसर्प दोष की पहचान करना
- 3 जीवन के अनुभवों से कालसर्प दोष की पहचान
- 4 कालसर्प दोष से जुड़े प्रमुख संकेत (Common Signs of Kaal Sarp Dosh)
- 5 कालसर्प दोष की पहचान के बाद क्या करें?
- 6 कालसर्प दोष पूजा की बुकिंग त्र्यंबकेश्वर में कैसे कराएँ?
कालसर्प दोष की पहचान कैसे करें? (How to Identify Kaal Sarp Dosh)
कालसर्प दोष की पहचान मुख्य रूप से दो तरीकों से की जाती है —
कुंडली के माध्यम से (Astrological Method)
व्यक्तिगत अनुभव और लक्षणों से (Practical Signs)
कुंडली देखकर कालसर्प दोष की पहचान करना
यदि आपकी जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह स्थित हैं, तो यह दोष बनता है।यह स्थिति राहु की चाल और केतु की स्थिति के आधार पर तय होती है। राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है, और जब ये दोनों ग्रह अन्य ग्रहों को अपने बीच घेरे रहते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में अचानक कठिनाइयाँ, असफलताएँ, मानसिक तनाव और बाधाएँ आने लगती हैं।
सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हों
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि) राहु और केतु के बीच में फँस जाते हैं, तब कालसर्प दोष बनता है।अगर सूर्य से लेकर शनि तक के सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हैं, तो इसे पूर्ण कालसर्प दोष कहा जाता है। अगर कोई ग्रह इस घेरे से बाहर है, तो यह आंशिक कालसर्प दोष कहलाता है।
राहु और केतु किन भावों में हैं
कुंडली के अलग-अलग भावों में राहु-केतु की स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष के 12 प्रकार बनते हैं — जैसे कि अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड, घोर, विशधर और शेषनाग दोष। हर प्रकार का प्रभाव अलग होता है — कोई आर्थिक जीवन को प्रभावित करता है, तो कोई पारिवारिक या मानसिक जीवन को।
जीवन के अनुभवों से कालसर्प दोष की पहचान
अगर आपके पास कुंडली नहीं है, तब भी कुछ संकेत ऐसे हैं जो इस दोष की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं।
जीवन में बार-बार असफलता
हर प्रयास के बाद भी सफलता हाथ न लगना, या सही समय पर कार्य का रुक जाना — राहु-केतु की ऊर्जा असंतुलित होने का संकेत है।
बिना कारण भय या तनाव रहना
मन का बेचैन रहना, अनिद्रा, या बार-बार चिंतित रहना कालसर्प दोष का प्रमुख लक्षण है।
विवाह या परिवार में अस्थिरता
शादी में देरी, वैवाहिक मतभेद या संतान संबंधी बाधाएँ इस दोष से जुड़ी होती हैं। पति-पत्नी के रिश्ते में अनबन होना आदि।
आर्थिक जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव
कभी अचानक लाभ तो कभी बड़ी हानि — यह राहु और केतु की अस्थिर ऊर्जा का परिणाम होता है।
बार-बार सर्प या मृतक संबंधी सपने
अगर आपको बार-बार साँप, मृत रिश्तेदार, या जल में डूबने जैसे सपने आते हैं, तो यह भी इस दोष की उपस्थिति का संकेत हो सकता है।
कालसर्प दोष से जुड़े प्रमुख संकेत (Common Signs of Kaal Sarp Dosh)
- बिना कारण रुकावटें
- बार-बार योजनाएँ असफल होना
- किसी भी कार्य में देरी होना
- आत्मविश्वास की कमी
- रिश्तों में दरार
- बार-बार बीमार रहना
- निर्णय लेने में असमर्थता
कालसर्प दोष की पहचान के बाद क्या करें?
पहचान के बाद डरने की आवश्यकता नहीं है। यह दोष केवल कर्म और ग्रहों की असंतुलित ऊर्जा का परिणाम है, जिसे भक्ति, मंत्र जाप और वैदिक पूजा से संतुलित किया जा सकता है। भगवान शिव की कृपा से राहु-केतु का प्रभाव शांत होकर जीवन में सफलता और स्थिरता लौट आती है।
इस दोष की पहचान के बाद अनुभवी पंडित जी से कालसर्प दोष पूजा त्र्यंबकेश्वर जैसे पवित्र तीर्थ स्थल पर कराएं। इस पूजा के प्रभाव से व्यक्ति की कुंडली से न केवल दोष का निवारण होता है बल्कि जीवन में उपस्थित सभी संकट और बधाये भी समाप्त हो जाती है तो आज ही वहाँ के अनुभवी पंडित कैलाश शास्त्री जी से संपर्क करें और पूजा की जानकारी प्राप्त करें।
कालसर्प दोष पूजा की बुकिंग त्र्यंबकेश्वर में कैसे कराएँ?
यदि आपको ऊपर दिए गए संकेत अपने जीवन में महसूस होते हैं, तो त्र्यंबकेश्वर के अनुभवी ज्योतिषाचार्य या पंडित से परामर्श लें। वे आपकी कुंडली में राहु-केतु की स्थिति, दशा और दृष्टि देखकर यह तय कर सकते हैं कि यह दोष पूर्ण है या आंशिक।
पंडित जी को कालसर्प पूजा कराने में 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। यहाँ प्रतिवर्ष कई लोग आते है और दोष का निवारण कराते है। पूजा की बुकिंग के लिए आज ही त्र्यंबकेश्वर के श्रेष्ठ पंडित कैलाश शास्त्री जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें और पूजा की पूरी जानकारी प्राप्त करें, अभी कॉल करें।