कालसर्प दोष पूजा कब करनी चाहिए?

कालसर्प दोष पूजा कब करानी चाहिए? जाने सही समय और पूजा विधि

कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली दोष माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशनियाँ और चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को करियर, स्वास्थ्य, वैवाहिक जीवन और आर्थिक स्थिति की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि काल सर्प दोष की पूजा का सही समय क्या है? यह पूजा कब करनी चाहिए?

कालसर्प दोष एक जटिल ज्योतिषीय स्थिति है, लेकिन सही समय पर और सही विधि से त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा करने से इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। नाग पंचमी, महाशिवरात्रि, अमावस्या, और ग्रहण काल जैसे शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

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क्या आप भी कालसर्प दोष से परेशान हैं? जाने कालसर्प दोष क्या होता है?

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कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक ऐसा ग्रह योग माना जाता है, जिसके अंतर्गत सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। इससे व्यक्ति के जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, नौकरी में अड़चनें और पारिवारिक समस्याएं आ सकती हैं। कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं:- जैसे अनंत कालसर्प, कुलिक कालसर्प, शंखचूड़ कालसर्प आदि।

कालसर्प दोष पूजा कब होती है? 2025 शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो कालसर्प दोष पूजा का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस पूजा का प्रभाव अधिकतम तब होता है जब इसे शुभ मुहूर्त और विशेष तिथियों पर किया जाए। निम्नलिखित कुछ प्रमुख समय हैं जब काल सर्प दोष पूजा करनी चाहिए:

1. नाग पंचमी: काल सर्प दोष पूजा के लिए सबसे शुभ दिन

नाग पंचमी, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, कालसर्प दोष पूजा के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से राहु और केतु का प्रभाव कम होता है। 2025 में नाग पंचमी 31 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने से दोष का प्रभाव तेजी से कम हो सकता है। आज ही त्र्यंबकेश्वर में अपनी पूजा बुक करें और दोष से छुटकारा पाये।

2. महाशिवरात्रि: शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर

महाशिवरात्रि भगवान शिव को प्रिय अत्यंत पवित्र और पावन महापर्व है। राहु और केतु का सीधा संबंध शिव भक्ति से है और इस दिन कालसर्प दोष पूजा करने से राहु और केतु शुभ स्थिति में आ जाते है जिससे दोष निवारण में विशेष लाभ मिलता है। 2025 में महाशिवरात्रि 26 फरवरी को होगी। इस दिन पूजा करने से दोष के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

3. अमावस्या: राहु-केतु के प्रभाव को कम करने का समय

अमावस्या, विशेष रूप से पितृ अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या, कालसर्प दोष पूजा के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इस दिन राहु और केतु की शांति के लिए विशेष पूजा और हवन किए जाते हैं। 2025 में कुछ महत्वपूर्ण अमावस्या तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • 29 जनवरी
  • 28 फरवरी
  • 29 मार्च

पूजा की सटीक ओर अधिक जानकारी के लिए त्र्यंबकेश्वर के अनुभवी और योग्य पंडित कैलाश शास्त्री जी से संपर्क करें। पंडित जी को 15 वर्षो से अधिक अनुभव प्राप्त है।

4. ग्रहण काल: विशेष शुभ मुहूर्त

सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दौरान कालसर्प दोष पूजा करना अत्यंत प्रभावी माना जाता है। राहु और केतु ग्रहण के कारक हैं, इसलिए इस समय पूजा करने से दोष का प्रभाव कम होता है। 2025 में निम्नलिखित ग्रहण होंगे:

  • 29 मार्च: पूर्ण सूर्य ग्रहण
  • 14 सितंबर: पूर्ण चंद्र ग्रहण

5. जन्म नक्षत्र या शुभ मुहूर्त

कुंडली के आधार पर जन्म नक्षत्र या किसी विशेष शुभ मुहूर्त में भी कालसर्प दोष पूजा की जा सकती है। इसके लिए आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली की जांच कराना चाहिए, जो आपकी कुंडली के आधार पर सही समय और तिथि बता सके। आज ही त्र्यंबकेश्वर के श्रेष्ठ पंडित कैलाश शास्त्री जी से संपर्क करें और अपनी पूजा बुक करें।

6. श्रावण मास: भगवान शिव को समर्पित

सावन का महिना भगवान शिव का अत्यंत प्रिय, पवित्र और तीव्र कृपा प्राप्ति का महिना है। सावन में कालसर्प दोष पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महीने भगवान शिव की उपासना से दोष शांत होता है। श्रावण के महीने में किसी भी दिन कालसर्प दोष पूजा का आयोजन किया जा सकता है, यह पूरा महिना पावन होता है।

कालसर्प दोष पूजा क्यों जरूरी है? इसके लाभ क्या हैं?

कालसर्प दोष शांति पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और उन्नति आती है। इस पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं। कालसर्प दोष पूजा से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। लेकिन यह तभी संभव है जब पूजा सही समय और मुहूर्त में की गई हो।

कालसर्प दोष पूजा करने से जीवन में निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • जीवन में आने वाली बाधाएं और रुकावटें कम होती हैं।
  • करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  • वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बढ़ती है।
  • स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिलती है।
  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

कालसर्प दोष पूजा कहाँ करानी चाहिए? जानिए प्रसिद्ध स्थान

कालसर्प दोष पूजा कराने के लिए भारत में कई प्रसिद्ध स्थान हैं, किन्तु नाशिक का त्र्यंबकेश्वर मंदिर कालसर्प दोष पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ की गई पूजा से भक्तजानो को शांति और दोष से छुटकारा मिलता है।

  • त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नाशिक, महाराष्ट्र): यहाँ कालसर्प दोष निवारण पूजा बहुत प्रसिद्ध है।
  • उज्जैन (महाकालेश्वर मंदिर): महाकालेश्वर में भी कालसर्प दोष शांति के विशेष अनुष्ठान होते हैं।
  • काशी विश्वनाथ (वाराणसी): काशी में भी योग्य ब्राह्मणों द्वारा पूजा कराई जाती है।

कालसर्प दोष पूजा कैसे होती है? जानें विधि और सामग्री

कालसर्प दोष पूजा में भगवान शिव, नागदेवता, राहु और केतु का विशेष पूजन होता है। इसमें नाग नागिन के जोड़े की स्थापना की जाती है और मंत्रोच्चार से दोष शांति कराई जाती है।
इस पूजा में निम्न सामग्री आवश्यक होती है:

  • नाग नागिन की मूर्ति
  • दूध, चावल, पुष्प
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा (भगवान शिव के लिए)
  • कलश स्थापना
  • कुशा आसन, जनेऊ, वस्त्र आदि

कालसर्प दोष पूजा के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • ब्राह्मण और पंडित का चयन हमेशा अनुभवी और प्रमाणित करें, सही विधि से की गई पूजा से ही दोष शांत होता है।
  • पूजा के बाद गरीबों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।
  • पूजा पूरी श्रद्धा और विश्वास से करें।

कालसर्प दोष पूजा सही समय पर कराना क्यों जरूरी है?

अगर कालसर्प दोष की पूजा सही समय पर नहीं कराई जाए तो जीवन में समस्याएं बार-बार आती रहती हैं। इसलिए सावन मास, नाग पंचमी, अमावस्या या जन्मदिन जैसे शुभ अवसर पर पूजा कराना सर्वोत्तम माना गया है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा बुकिंग कैसे कराएं?

अगर आप भी कालसर्प दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो त्र्यंबकेश्वर के योग्य पंडित से परामर्श लें और सही मुहूर्त में पूजा कराएं। श्रद्धा और विश्वास से की गई पूजा जरूर फल देती है। आज ही अपनी पूजा बुक करे और आपने जीवन को खुशहाल बनाएँ।

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