कालसर्प पूजा त्र्यंबकेश्वर बुकिंग
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त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा खर्च
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष पूजा बुकिंग
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त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष पूजा फोटो
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त्र्यंबकेश्वर मे कालसर्प पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित
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कालसर्प दोष क्या है?
ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बेहद खतरनाक दोष माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में कई तरह की मुश्किलें, संघर्ष और परेशानियां लेकर आता है। जब कुंडली के सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तब व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष योग बनता है। कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे नौकरी में स्थिरता न रहना, व्यापार में लगातार नुकसान का सामना करना, मानसिक तनाव, दैनिक जीवन में परेशानियां।
कालसर्प दोष के 12 प्रकार:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली मे अनंत कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु लग्न भाव में होता है, जबकि केतु सातवें भाव में स्थित होता है, और शेष सभी ग्रह भाव इन दोनों ग्रहो के बीच में स्थित होते हैं। इस दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति को सफलता पाने के लिए बहुत प्रयास करने पड़ते है। उन्हें कई बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन्हें जीवन मे लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
कुलिक कालसर्प दोष योग तब बनता है, जब राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में स्थित होता है, और अन्य सभी ग्रह इन दो ग्रहो के बीच स्थित होते हैं। इस दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति लगातार असफलताओं का सामना करते हैं और उन्हे काफी अपमान का सामना करना पड़ता है। उन्हें आर्थिक नुकसान, धोखे, उनकी खुशियों में बाधाएँ और अपमान की नियमित घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
वासुकी कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु तृतीय भाव में और केतु नौवें भाव में होता है, और अन्य सभी ग्रह इन दोनों ग्रहो के बीच स्थित होते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति के पारिवारिक रिश्ते सही नहीं रहते है। जिसके कारण परिवार मे सदैव तनाव का वातावरण रहता है। दोष के कारण आथिक स्थिति भी सही नहीं रहती है।
जब राहु चौथे भाव में और केतु दसवें भाव में स्थित हो, तथा अन्य सभी ग्रह उनके बीच स्थित हों, तो इस ज्योतिषीय स्थिति को शंखपाल काल सर्प दोष कहा जाता है। इस दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति अक्सर अपने घर में वित्तीय कठिनाइयों, स्वास्थ्य समस्याओं और विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हैं। व्यक्ति को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
पद्म काल सर्प दोष तब बनता है, जब राहु पांचवें भाव में और केतु ग्यारहवें भाव में स्थित होता है, तथा अन्य सभी ग्रह उन दोनो ग्रहो के बीच स्थित होते हैं। यह ज्योतिषीय स्थिति शिक्षा में महत्वपूर्ण चुनौतियों का कारण बन सकता है, जिससे व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस दोष के कारण व्यक्ति का पढ़ाई मे मन नहीं लगता है।
महापद्म कालसर्प दोष कुंडली मे तब बनता है, जब राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में स्थित होता है, तथा अन्य सभी ग्रह इन दो ग्रहो के बीच स्थित होते हैं। इस स्थिति के परिणामस्वरूप महापद्म काल सर्प दोष बनता है। इस दोष के करना व्यक्ति के पारिवारिक रिश्तो मे लड़ाई झगड़े होते है। जिसके कारण व्यक्ति की अपने ही रिश्तेदारों से अनबन होती रहती है।
तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु सातवें भाव में और राहु पहले भाव में स्थित होते हैं। इस दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और साझेदारी संबंधों में समस्याए उत्पन्न होती हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में तनाव, गलतफहमी और असंतुलन का सामना करना पड़ता है। साथ ही, व्यवसाय में साझेदारी करने पर भी कठिनाइयाँ और हानि का सामना करना पड़ता है।
कर्कोटक काल सर्प दोष तब बनता है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु दूसरे भाव में और राहु आठवें भाव में स्थित होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के कार्यक्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे कई चुनौतियाँ आती हैं और मुख्य रूप से करियर की उन्नति में बाधा आती है, जिसमें पदोन्नति प्राप्त करने की संभावना भी शामिल है।
शंखचूड़ कालसर्प दोष तब बनता है, जब केतु तृतीय भाव में और राहु नवे भाव में स्थित हो, तथा अन्य सभी ग्रह इन दोनो भावो के बीच स्थित हों। इस दोष से पीड़ित व्यक्तियों को अक्सर अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने मे बहुत अधिक समय लगता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को मानसिक समस्या का सामना अधिक करना पड़ता है।
घातक कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु चौथे भाव में और राहु दसवें भाव में स्थित होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति का स्वभाव अहंकारी और गुस्सैल हो जाता है। व्यक्ति को छोटी – छोटी बातो पर अधिक गुस्सा आता है।
विषधर कालसर्प दोष कुंडली मे तब बनता है, जब केतु पांचवें भाव में और राहु ग्यारहवें भाव में स्थित हो, तथा अन्य सभी ग्रह इन दोनो ग्रहो के बीच स्थित हों। इस दोष के कारण व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। पैतृक संपत्ति होने के बाद भी व्यक्ति को धन संबन्धित हानि होती रहती है।
शेषनाग काल सर्प दोष तब बनता है, जब केतु छठे भाव में और राहु बारहवें भाव में स्थित होता है, तथा अन्य सभी ग्रह इन दोनो ग्रहो के बीच स्थित होते हैं। इस दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति को नौकरी नहीं मिलती है, उसे बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।
इन 12 प्रकार के कालसर्प दोष में से जिनकी पूजा की जाती है उनकी पूजा भी अलग तरीके से की जाती है।
कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव
कालसर्प दोष एक ऐसा दोष है जिसका सीधा असर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है-
- इस दोष के कारण व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। व्यक्ति को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
- बार-बार कर्ज या धन-हानि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- व्यापार में लगातार नुकसान का सामना करना पड़ता है।
- पारिवारिक विवादों के कारण व्यक्ति को कानूनी और न्यायिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव महसूस होता है।
- मेहनत करने के बाद भी व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष पूजा क्या है?
काल सर्प दोष पूजा ऐसे व्यक्तियों के लिए की जाती है जिनकी कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह पूजा दोष के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए की जाती है। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा करने से पूजा का प्रभाव बढ़ जाता है, क्योंकि भगवान शिव आशीर्वाद का आशीर्वाद शीघ्र मिलता है, जिससे इस दोष से मुक्ति मिलती है। पूजा के बाद जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और शांति बढ़ती है।
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष पूजा के लाभ:
काल सर्प दोष पूजा के कई लाभ हैं, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। पूजा के लाभ इस प्रकार हैं
- पूजा से व्यक्ति की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में सुधार होता है।
- पूजा के प्रभाव से बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
- वैवाहिक जीवन और पारिवारिक संबंधों में सुधार होता है।
- दैनिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं।
- व्यापार में सफलता मिलती है।
- पूजा के बाद जीवन में सुख और शांति आती है।
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा का महत्व
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान शिव यहां त्र्यंबक रूप में विराजमान हैं। यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की जाती है। यहां किया गया कोई भी अनुष्ठान प्रभावशाली माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर का वातावरण और गोदावरी नदी की पवित्रता धार्मिक अनुष्ठानों के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है। त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष पूजा करने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति आती है।
त्र्यंबकेश्वर मे पूजा के बाद महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां
त्र्यंबकेश्वर मे कालसर्प दोष पूजा कराने के बाद कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। ये नियम इस प्रकार हैं-
- पूजा के बाद 7 दिनों तक केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
- पूजा के बाद कुछ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी चाहिए।
- पूजा के बाद त्र्यंबकेश्वर या नजदीकी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
- पूजा के बाद नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पूजा के बाद गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए।
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष निवारण पूजा से इस दोष को पूर्ण रूप से समाप्त कैसे करे।
ऐसे बहुत उपाय हैं जिनको अपनाकर कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है, यदि आप कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव से सदैव के लिए मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आपको कालसर्प दोष की पूजा करनी चाहिए। कालसर्प दोष को समाप्त करने के लिए यह सबसे प्रभावी और सरल उपाय है। इसके लिए बहुत अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती है। पंडित जी से पूजा का दिन निश्चित करें और त्र्यंबकेश्वर में पूजा के लिए आएं। अगर आप किसी कारणवश पूजा के लिए त्रिंबकेश्वर नहीं आ पा रहे है, तो आप ऑनलाइन काल सर्प दोष पूजा भी करा सकते हैं। पंडित जी आपके नाम, गौत्र का उपयोग करके आपकी ओर से पूजा करेंगे।
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प पूजा मे कितना खर्च आता है?
पूजा का खर्च आपके लिए जरूरी है। यदि कुंडली में कालसर्प दोष के अलावा दूसरा भी कोई दोष हो, तो पूजा का खर्च बढ़ जाता है। पूजा बुक करने से पहले आपको पंडित जी से सलाह लेनी चाहिए, ताकि आपको अपनी समस्याओ और पूजा के खर्च के बारे में सही जानकारी मिल सके। पूजा मे आने वाला अनुमानित खर्च इस प्रकार है-
2025 में कालसर्प दोष पूजा के शुभ मुहूर्त (त्र्यंबकेश्वर)
महीना | शुभ तिथियाँ |
---|---|
जनवरी | 2, 4, 6, 8, 11, 13, 15, 16, 20, 22, 25, 29, 30, 31 |
फ़रवरी | 4, 8, 10, 11, 12, 16, 17, 20, 21, 25, 26 (महाशिवरात्रि) |
मार्च | 3, 5, 10, 11, 13, 15, 19, 20, 25, 27, 29 |
अप्रैल | 9, 10, 16, 17, 21, 22, 24, 26 |
मई | 1, 3, 6, 7, 9, 11, 13, 14, 15, 19, 20, 23, 25, 27, 29, 31 |
जून | 2, 4, 6, 10, 11, 16, 17, 20, 21, 24, 25, 27, 29, 30 |
जुलाई | 3, 5, 7, 8, 13, 15, 20, 21, 24, 25, 27, 29 (नाग पंचमी) |
अगस्त | 2, 4, 5, 8, 9, 11, 13, 14, 19, 20, 24, 26, 31 |
सितंबर | 1, 2, 4, 7, 8, 10, 14, 15, 17, 20, 23, 26, 28, 30 |
अक्टूबर | 2, 3, 5, 7, 9, 10, 11, 13, 14, 16, 19, 21, 24, 26, 30 |
नवंबर | 1, 2, 3, 5, 6, 8, 9, 10, 12, 13, 15, 16, 17, 19, 20, 22, 23, 24, 27, 29, 30 |
दिसंबर | 1, 3, 4, 6, 7, 8, 11, 13, 14, 15, 18, 19, 20, 21, 22, 25, 27, 28, 29, 30, 31 |
विशेष शुभ दिन
महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025):
भगवान शिव की पूजा का प्रमुख पर्व। इस दिन पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।नाग पंचमी (29 जुलाई 2025):
नाग देवता की पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन। काल सर्प दोष शांति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।श्रावण मास (13 जुलाई – 11 अगस्त 2025):
भगवान शिव की उपासना का महीना। इस दौरान की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।अमावस्या (हर माह की):
काल सर्प दोष की शांति के लिए अमावस्या तिथि पर पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अनुशंसित पूजा स्थल
त्र्यंबकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
महाकालेश्वर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
सुझाव
किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाकर शुभ तिथि एवं योग चुनें।
पूजा के लिए पहले से बुकिंग करवाना उचित रहेगा।
ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा कई मंदिरों में उपलब्ध है।
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष पूजा बुकिंग
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए आज ही पंडित जी बुक करे, अभी संपर्क करें और पंडित कैलाश शास्त्री से सीधे पूजा के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करें और अपनी कुंडली और समस्याओ की जानकारी पंडित जी को दे।
Frequently Asked Questions About Trimbakeshwar Kaal Sarp Dosh Puja
कालसर्प दोष पूजा मे केवल 2 से 3 घंटे का समय लगता है।
हर माह मे पूजा के लिए विशेष दिन होते है। जिस दिन पूजा करने से पूजा का प्रभाव बड़ जाता है। पूजा का सही दिन पता करने के लिए आप अभी पंडित जी से संपर्क कर सकते है।
पंडितो की आपस मे तुलना करना सही नहीं है। अगर आप पूजा करवाना चाहते है, तो अलग अलग पंडितो से बात कर सकते है। जो आपकी भावनाओ को समझ सके उनसे पूजा करवाये।
ऑनलाइन पूजा पंडित जी द्वारा की जाएगी, जो लाइव वीडियो कॉल के माध्यम से उपलब्ध रहेंगे। आपको ऑनलाइन संकल्प लेना होगा, और पंडित जी आपकी ओर से आपका नाम और गोत्र का उपयोग करके आपकी ओर से पूजा करेंगे।
Customers Reviews
Got Results
We are thoroughly satisfied with Pandit Ji. He performed the Kaal Sarp Puja with great care and arranged everything meticulously.
Nice
The behavior and knowledge of Guru Ji were exemplary. We felt truly positive and content after completing the puja with Pandit Ji.
Fully Satisfied
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Good Services
Pandit ji has very good knowledge about vedik puja, I performed kaal sarp puja with kailash guru ji and fully satisfied with his service.
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I recently had a Kaal Sarp Dosh puja performed by Pandit Kailash Shastri in Trimbakeshwar. The experience was truly divine. His knowledge and the way he conducted the puja were impressive. I’ve felt a positive change since then. Highly recommend!