नाग पंचमी पर त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा: महत्व और बुकिंग 2025
नाग पंचमी, हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। यह दिन नाग देवताओं की आराधना और कालसर्प दोष निवारण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, जहां गोदावरी नदी का उद्गम है, इस पूजा के लिए सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
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नाग पंचमी पर कालसर्प पूजा का महत्व
नाग पंचमी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो 2025 में 8 अगस्त को होगी। यह दिन नाग देवता, विशेष रूप से वासुकी और शेषनाग, की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, नाग भगवान शिव के गले का आभूषण हैं, और उनकी पूजा से आध्यात्मिक शक्ति, सिद्धियाँ, और समृद्धि प्राप्त होती है। सावन में नाग पंचमी पर त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) जैसे पवित्र शिवस्थल पर कालसर्प दोष निवारण पूजा का आयोजन बड़े स्तर पर होता है। यहां हजारों श्रद्धालु इस दिन विशेष पूजा कराते है और जीवन के कष्टों से मुक्ति पाते है।
नाग पंचमी पर कालसर्प दोष पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन राहु और केतु के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा भगवान शिव और नाग देवता की संयुक्त कृपा से और प्रभावी हो जाती है। इस दिन शुभ योग, जैसे शिव योग और धाता योग, पूजा के प्रभाव को कई गुना बढ़ा सकते हैं।
मान्यता है कि नाग पंचमी पर सच्चे भाव से नाग देवता की पूजा करने से सर्पदंश का भय, अकाल मृत्यु और रोगों से रक्षा होती है। साथ ही यह दिन पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति का भी माध्यम माना जाता है। सावन में नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा, विश्वास और प्रकृति-पूजन का अद्भुत संगम है। यह न केवल भगवान शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ समय है, बल्कि जीवन में आ रही अदृश्य बाधाओं, ग्रहदोष और मानसिक अशांति से मुक्ति पाने का भी सरल माध्यम है। इस दिन नागों की पूजा कर हम धार्मिक पुण्य, ज्योतिषीय लाभ और प्राकृतिक संतुलन — तीनों को साध सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर कालसर्प दोष निवारण के लिए एक प्रमुख केंद्र है, और नाग पंचमी पर यहाँ पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। निम्नलिखित कारण इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं:
- भगवान शिव की कृपा: सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, और त्र्यंबकेश्वर में उनका आशीर्वाद दोष निवारण में सहायक है।
- गोदावरी नदी: पूजा से पहले गोदावरी में स्नान कर्मिक दोषों को शुद्ध करता है।
- नाग देवता की पूजा: नाग पंचमी पर वासुकी और शेषनाग की पूजा राहु-केतु के प्रभाव को कम करती है।
- वैदिक पंडित: त्र्यंबकेश्वर के पंडित वैदिक अनुष्ठानों में निपुण हैं, जो पूजा की प्रभावशीलता सुनिश्चित करते हैं।
- ऑनलाइन सुविधा: विश्व भर के भक्त वीडियो कॉल के माध्यम से पूजा में शामिल हो सकते हैं।
नाग पंचमी पर कालसर्प पूजा कराने के चमत्कारिक लाभ
नाग पंचमी के दिन किया गया कालसर्प दोष पूजन निम्नलिखित रूप से लाभदायक होता है:
- यह पूजा राहु-केतु के दुष्प्रभाव को शांत करती है।
- नाग देवताओं की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- कुंडली में स्थित कर्मज दोषों का शमन होता है।
- पूर्वजों की असंतुष्टि (पितृ दोष) से भी मुक्ति मिलती है।
- मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
- विवाह में बाधा निवारण: रिश्तों में रुकावटें और देरी समाप्त होती है।
- आर्थिक समृद्धि: कर्ज से मुक्ति, व्यापार में लाभ, और वित्तीय स्थिरता।
यह दिन स्वयं भगवान शिव और नागों का प्रिय दिन है, इसलिए इस दिन की गई पूजा तीव्र फलदायक और शीघ्र असरकारी होती है।
नाग पंचमी 2025 की शुभ तिथि और समय
- तिथि: 8 अगस्त 2025।
- पूजा मुहूर्त: सुबह 5:30 AM से 8:30 AM तक।
- नाग पूजन: 9:00 AM से 3:00 PM तक।
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प पूजा में कितना खर्च आता है?
कालसर्प दोष पूजा की लागत पूजा के प्रकार, पंडितों की संख्या, और सामग्री पर निर्भर करती है:
- सामान्य पूजा: ₹2,000–₹5,000 (1 पंडित, आवश्यक अनुष्ठान)।
- विशेष पूजा: ₹5,000+ (2 पंडित, अतिरिक्त मंत्र जाप और हवन)।
त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष पूजा की बुकिंग
यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो नाग पंचमी पर यह पूजा अवश्य कराएं और जीवन को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करें। । इस पावन अवसर पर पूजा की बुकिंग के लिए विश्वसनीय स्रोतों का चयन करें। नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और पूजा बुक करें।